Tuesday 12 April 2016

News By MarketMagnify: यूआईडीएआई ने जारी की आम जन के लिए अवैध एजेंसियों से बचने के लिए महत्वपूर्ण सूचना

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भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आम लोगों को ऐसी अवैध कंपनियों के झांसे में आने के खिलाफ आ

गाह किया है जो स्‍मार्ट कार्ड के नाम पर प्‍लास्टिक पर आधार कार्ड छापने के लिए 50 रुपये से 200 रुपये तक वसूल रहे हैं जबकि आधार पत्र या इसका काटा गया हिस्‍सा या किसी सामान्‍य कागज पर आधार का डाउनलोड किया गया संस्‍करण पूरी तरह वैध है।

कुछ कंपनियों ने आधार के डाउनलोड संस्‍करण के सामान्‍य लैमीनेशन के लिए भी सामान्‍य से अधिक वसूलना शुरु कर दिया है।

यूआईडीएआई के महानिदेशक एवं मिशन निदेशक डॉ. अजय भूषण पांडेय ने कहा ‘आधार पत्र या किसी सामान्‍य कागज पर आधार का डाउनलोड किया गया संस्‍करण सभी उपयोगकर्ताओं के लिए पूरी तरह वैध है। अगर किसी व्‍यक्ति के पास एक कागजी आधार कार्ड है तो उसे अपने आधार कार्ड को लैमीनेट कराने या पैसे देकर तथाकथित स्‍मार्ट कार्ड प्राप्‍त करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है। उन्‍होंने कहा कि स्‍मार्ट आधार कार्ड जैसी कोई चीज नहीं है।

अगर कोई व्‍यक्ति अपना आधार कार्ड खो देता है तो वह अपने आधार कार्ड को निशुल्‍क https://eaadhaar.uidai.gov.in से डाउनलोड कर सकते है। डाउन किये गये आधार का प्रिंट आउट भले ही वह श्‍वेत या श्‍याम रूप में क्‍यों न हों, उतना ही वैध है, जितना यूआईडीएआई द्वारा भेजा गया मौलिक आधार पत्र। इसे प्‍लास्टिक कार्ड पर प्रिंट करने या इसे लेमिनेट करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

अगर कोई व्‍यक्ति फिर भी चाहता है कि उसका आधार कार्ड लैमीनेट किया जाए या प्‍लास्टिक कार्ड पर प्रिंट किया जाए, तो वह इसे केवल अधिकृत समान सेवा केन्‍द्रों पर या अनुशंसित दर पर जो 30 रुपए से अधिक न हो, कीमत अदा करने के द्वारा आधार स्‍थायी नामांकन केन्‍द्रों पर ऐसा कर सकते हैं।

आम लोगों को सलाह दी जाती है कि अपनी गोपनीयता की सुरक्षा के लिए वे अपने आधार नंबर या व्‍यक्तिगत विवरणों को अवैध एजेंसियों के साथ इसे लैमीनेट कराने या प्‍लास्टिक कार्ड पर प्रिंट कराने के लिए साझा न करें।

ई-बे, फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को इसके द्वारा सूचित किया जाता है कि वे आम लोगों से आधार की जानकारी एकत्रित करने के लिए या ऐसी सूचना प्राप्‍त करने के लिए आधार कार्ड को प्रिंट करने या आधार कार्ड को अवैध रूप से छापने या किसी भी प्रकार ऐसे व्‍यक्तियों को सहायता करने के लिए अपने व्‍यापारियों को अनुमति न दें। ऐसा करना भारतीय दंड संहिता और आधार (वित्‍तीय एवं अन्‍य सब्सिडियों, लाभों एवं सेवाओं की लक्षित आपूर्ति) अधिनियम, 2016 के अध्‍याय-VI के तहत भी दंडनीय अपराध है।

1 comment:

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